प्रश्न 1: ऋषियों के माध्यम से हमें क्या ज्ञान प्राप्त होता है?
उत्तर:
ऋषिगण हमें सृष्टि के आदि से लेकर सत्य, धर्म-अधर्म, पुण्य-पाप, कर्तव्य-अकर्तव्य, सत्य-असत्य, और ईश्वर का परिज्ञान कराते हैं। वे मानव मात्र के कल्याण और उन्नयन के लिए तर्कसंगत, वैज्ञानिक और सत्य आधारित ज्ञान प्रदान करते हैं।
प्रश्न 2: ऋषिगण के क्या गुण होते हैं?
उत्तर:
ऋषिगण अपूर्व मेधा से सम्पन्न होते हैं।
वे निस्वार्थी, परम दयालु और ईश्वरीय संविधान के महाविद्वान होते हैं।
उनका प्रत्येक कार्य और उपदेश प्राणी मात्र के हित के लिए होता है।
वे देश-काल की सीमाओं से परे मानव मात्र के कल्याण के लिए कर्म और उपदेश करते हैं।
प्रश्न 3: ऋषियों का उपदेश किसके लिए होता है?
उत्तर:
ऋषियों का उपदेश संपूर्ण मानव जाति के लिए होता है। यह हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, पारसी, जैनी, बौद्ध आदि सभी पंथों और सम्प्रदायों के अनुयायियों के लिए समान होता है।
प्रश्न 4: ऋषियों का ज्ञान किन सिद्धांतों पर आधारित होता है?
उत्तर:
ऋषियों का ज्ञान सत्य, तथ्य, तर्क और यथार्थ वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित होता है। इनके सिद्धांत अटल और शाश्वत होते हैं, जिन्हें किसी भी काल में खंडित नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 5: ऋषि दयानन्द का स्थान ऋषि परंपरा में क्या है?
उत्तर:
ऋषि दयानन्द हमारे सबसे निकट काल के ऋषि हैं।
वे प्राचीन सभी ऋषियों के ज्ञान और कर्म को समेटे हुए हैं।
उनका साहित्य और उपदेश सरल, स्पष्ट और व्यापक है, जो सत्य को समझने और अपनाने में सहायक है।
प्रश्न 6: वैदिक ज्ञान के अध्ययन के लिए कौन-कौन से साधन हैं?
उत्तर:
गुरुकुलीय विधा से विद्या ग्रहण करना।
आर्ष ग्रंथों का स्वाध्याय।
आर्य प्रशिक्षण सत्र और आर्या प्रशिक्षण सत्र, जो राष्ट्रीय आर्य निर्मात्री सभा द्वारा आयोजित किए जाते हैं।
प्रश्न 7: आर्य प्रशिक्षण सत्र का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
सत्य और वैदिक ज्ञान का प्रचार-प्रसार करना।
सत्य, वेद और वैदिक धर्म में प्रवेश दिलाना।
इन सत्रों में सहभागी होकर व्यक्ति ऋषियों के सिंचित सत्य पथ का पथिक और वाहक बन सकता है।
प्रश्न 8: इन प्रशिक्षण सत्रों का क्या महत्व है?
उत्तर:
इन सत्रों के माध्यम से:
व्यक्ति कुछ दिनों में वह सैद्धांतिक ज्ञान अर्जित कर सकता है, जो वर्षों की मेहनत से संभव नहीं।
सत्य और वेद का द्वार खुलता है, जिससे जीवन के उद्देश्य को प्राप्त किया जा सकता है।
ऋषिगण मानव मात्र के सच्चे हितैषी हैं। उनका ज्ञान सार्वभौमिक, शाश्वत और सभी के कल्याण के लिए है। वर्तमान समय में सत्य के जिज्ञासुओं को आर्य प्रशिक्षण सत्र में भाग लेकर वैदिक सिद्धांतों का अध्ययन अवश्य करना चाहिए।