Search this site
Embedded Files
Rashtriya Arya Nirmatri Sabha
  • Become A Member
    • Article
    • How Do We Work?
    • Steps To Invite
    • Brief history
    • Volunteer
  • Daily Meeting
    • प्रतिदिन ८:१५ pm समयदान सभा
    • आमत्रण समिति
  • Connected To The Project
    • राष्ट्रीय आर्य संवर्धिनी सभा
    • राष्ट्रीय आर्य क्षत्रिय सभा
    • राष्ट्रीय आर्य छात्र सभा
    • आर्या परिषद्
    • आर्य संरक्षिणी सभा
    • आर्या गुरुकुल महाविद्यालय
    • आर्य गुरुकुल महाविद्यालय
    • आर्य दलितोद्धारिणी सभा
    • वानप्रस्थ आयोग
  • Register for Laghu Gurukul
    • Why Donate Time?
    • Benefits Of Seva Work
    • Structure And Designation
    • Event Calendars
    • Associated With The Organization
  • Why Laghu Gurukul
    • Vedic Dharm
    • Features of Vedic Dharm
    • Arya Daily Dharmacharan
    • How Does One Become Arya?
    • Worship
  • Special Event
    • Yoga Training Camp
    • Kriyaatmak Yog Prashikshan Shivir
    • Vedic Mahasabha
    • Gurukul Kranti
  • Testimonials
  • Ask Any Question
  • Untitled page
Rashtriya Arya Nirmatri Sabha
  • Become A Member
    • Article
    • How Do We Work?
    • Steps To Invite
    • Brief history
    • Volunteer
  • Daily Meeting
    • प्रतिदिन ८:१५ pm समयदान सभा
    • आमत्रण समिति
  • Connected To The Project
    • राष्ट्रीय आर्य संवर्धिनी सभा
    • राष्ट्रीय आर्य क्षत्रिय सभा
    • राष्ट्रीय आर्य छात्र सभा
    • आर्या परिषद्
    • आर्य संरक्षिणी सभा
    • आर्या गुरुकुल महाविद्यालय
    • आर्य गुरुकुल महाविद्यालय
    • आर्य दलितोद्धारिणी सभा
    • वानप्रस्थ आयोग
  • Register for Laghu Gurukul
    • Why Donate Time?
    • Benefits Of Seva Work
    • Structure And Designation
    • Event Calendars
    • Associated With The Organization
  • Why Laghu Gurukul
    • Vedic Dharm
    • Features of Vedic Dharm
    • Arya Daily Dharmacharan
    • How Does One Become Arya?
    • Worship
  • Special Event
    • Yoga Training Camp
    • Kriyaatmak Yog Prashikshan Shivir
    • Vedic Mahasabha
    • Gurukul Kranti
  • Testimonials
  • Ask Any Question
  • Untitled page
  • More
    • Become A Member
      • Article
      • How Do We Work?
      • Steps To Invite
      • Brief history
      • Volunteer
    • Daily Meeting
      • प्रतिदिन ८:१५ pm समयदान सभा
      • आमत्रण समिति
    • Connected To The Project
      • राष्ट्रीय आर्य संवर्धिनी सभा
      • राष्ट्रीय आर्य क्षत्रिय सभा
      • राष्ट्रीय आर्य छात्र सभा
      • आर्या परिषद्
      • आर्य संरक्षिणी सभा
      • आर्या गुरुकुल महाविद्यालय
      • आर्य गुरुकुल महाविद्यालय
      • आर्य दलितोद्धारिणी सभा
      • वानप्रस्थ आयोग
    • Register for Laghu Gurukul
      • Why Donate Time?
      • Benefits Of Seva Work
      • Structure And Designation
      • Event Calendars
      • Associated With The Organization
    • Why Laghu Gurukul
      • Vedic Dharm
      • Features of Vedic Dharm
      • Arya Daily Dharmacharan
      • How Does One Become Arya?
      • Worship
    • Special Event
      • Yoga Training Camp
      • Kriyaatmak Yog Prashikshan Shivir
      • Vedic Mahasabha
      • Gurukul Kranti
    • Testimonials
    • Ask Any Question
    • Untitled page

हिंदी E-Book Downloads

लघु गुरुकुल क्यों ?

ગુજરાતી E-Book Downloads

व्यक्ति निर्माण (Vyakti Nirman)

क्यों जरूरी है व्यक्ति निर्माण?

  1. स्वास्थ्य, संपत्ति और आनंद: संतुलित जीवन व्यक्तिगत विकास और संतुष्टि का आधार है।

  2. धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष: ये चार पुरुषार्थ जीवन को उद्देश्यपूर्ण और सार्थक बनाते हैं।

  3. सर्वांगीण उन्नति का दृष्टिकोण:

    • केवल अपनी उन्नति पर न रुके, बल्कि दूसरों की उन्नति में अपनी उन्नति देखें।

    • सभी के प्रति प्रेमपूर्ण, धर्मानुसार और उपयुक्त व्यवहार करें।

  4. अज्ञानता का नाश और ज्ञान की वृद्धि:

    • विद्या का अर्जन करें और अज्ञान को समाप्त करें।

  5. सत्य का ग्रहण और असत्य का त्याग:

    • सदैव सत्य को अपनाने और असत्य को छोड़ने का प्रयास करें।


समाज निर्माण (Samaj Nirman)

क्यों आवश्यक है समाज निर्माण?

  1. समाज का मुख्य उद्देश्य:

    • संसार का उपकार करना, शारीरिक, आध्यात्मिक और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देना।

  2. सत्य ज्ञान का महत्व:

    • सभी सत्य विद्याओं और पदार्थ विद्याओं का मूल परमेश्वर है।

  3. वेदों का आदर्श:

    • वेद सभी सत्य विद्याओं का स्रोत हैं।

    • वेद का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना-सुनाना सभी आर्यों का परम धर्म है।


राष्ट्र निर्माण (Rashtra Nirman)

राष्ट्र निर्माण क्यों जरूरी है?

  1. राष्ट्र देवो भव:

    • एक ऐसा राष्ट्र जो अपने नागरिकों की अखंडता और मूल्यों को बनाए रखता है, वह दिव्य स्वरूप धारण करता है।

  2. समृद्ध और आत्मनिर्भर राष्ट्र:

    • हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपने देश को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने में योगदान दे।


विश्व निर्माण (Vishva Nirman)

विश्व निर्माण का उद्देश्य क्या है?

  1. वसुधैव कुटुंबकम:

    • पूरी दुनिया एक परिवार है। सभी को एकजुट होकर एक सामंजस्यपूर्ण वैश्विक समुदाय का निर्माण करना चाहिए।

  2. वैश्विक मूल्य:

    • शांति, प्रेम, और पारस्परिक प्रगति को बढ़ावा देकर एक उज्जवल और जुड़ी हुई दुनिया का निर्माण करें।



मानव जीवन के नियमों का समाज और व्यक्ति के लिए महत्व


मानव जीवन के इन नियमों को अगर व्यक्ति और समाज अपनी दिनचर्या और आचरण में अपनाएं, तो यह समाज की उन्नति और व्यक्तित्व के विकास में अभूतपूर्व योगदान दे सकते हैं। नीचे दिए गए नियमों की उपयोगिता और महत्व को विस्तारपूर्वक समझाया गया है:


1. सत्य और ज्ञान का स्रोत परमेश्वर है।

  • महत्व:
    सत्य और ज्ञान का परम स्रोत परमेश्वर को मानने से व्यक्ति आध्यात्मिकता और नैतिकता के करीब आता है।

  • व्याख्या:
    जब हम परमेश्वर को सत्य और ज्ञान का स्रोत मानते हैं, तो हमारे कार्य ईमानदारी और सत्यनिष्ठा पर आधारित होते हैं। यह समाज में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देता है और झूठ, छल और अधर्म से दूर रहने की प्रेरणा देता है।


2. वेद सब सत्यविद्याओं का पुस्तक है।

  • महत्व:
    वेद को पढ़ने, सिखाने और सुनने की परंपरा से समाज में शिक्षा और संस्कृति का प्रचार होता है।

  • व्याख्या:
    वेद ज्ञान का अद्वितीय भंडार है। इसे पढ़ने और समझने से व्यक्ति सत्य और धर्म के मार्ग पर चल सकता है। यह ज्ञान का विस्तार करके सामाजिक और व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देता है।


3. अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि।

  • महत्व:
    समाज से अज्ञानता को दूर करना और शिक्षा का प्रसार करना, प्रगति का आधार है।

  • व्याख्या:
    जब हम विद्या का प्रचार करते हैं, तो हम केवल व्यक्तियों को शिक्षित नहीं करते, बल्कि समाज को बेहतर बनाने की दिशा में काम करते हैं। यह वैज्ञानिक सोच, तर्कशीलता और प्रगति को प्रोत्साहित करता है।


4. सत्य को अपनाना और असत्य को त्यागना।

  • महत्व:
    सत्यनिष्ठा का पालन व्यक्ति और समाज दोनों के लिए नैतिकता की नींव है।

  • व्याख्या:
    सत्य को अपनाने से समाज में पारदर्शिता बढ़ती है, और झूठ और भ्रष्टाचार की जड़ें कमजोर होती हैं। यह विश्वसनीयता और आपसी विश्वास को बढ़ावा देता है।


5. सत्य और असत्य को विचार कर कार्य करना।

  • महत्व:
    हर कार्य के पीछे नैतिक और तार्किक विचार होना आवश्यक है।

  • व्याख्या:
    कोई भी कार्य करते समय सत्य और असत्य का विचार करना व्यक्ति को सही निर्णय लेने में सहायता करता है। यह नैतिकता के उच्च मानकों को स्थापित करता है और गलत कार्यों से बचने की प्रेरणा देता है।


6. समाज का उपकार करना।

  • महत्व:
    शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति के माध्यम से समाज की भलाई करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है।

  • व्याख्या:
    जब हम दूसरों की भलाई के लिए काम करते हैं, तो समाज में सामूहिक प्रगति होती है। यह सहयोग, दया और सेवा भावना को बढ़ावा देता है।


7. प्रेमपूर्वक और धर्मानुसार व्यवहार।

  • महत्व:
    समाज में आपसी प्रेम और सम्मान बनाए रखने के लिए यह नियम अत्यंत महत्वपूर्ण है।

  • व्याख्या:
    हर व्यक्ति के साथ प्रेमपूर्वक और धर्म के अनुसार व्यवहार करना समाज में सामंजस्य और शांति को बढ़ावा देता है। यह आपसी झगड़ों और कटुता को कम करता है।


8. सबकी उन्नति में अपनी उन्नति समझना।

  • महत्व:
    व्यक्तिगत उन्नति के साथ-साथ दूसरों की उन्नति को प्राथमिकता देना समाज को एकजुट करता है।

  • व्याख्या:
    यह नियम व्यक्तियों को स्वार्थी सोच से बाहर निकालता है और सामूहिक हित की दिशा में काम करने की प्रेरणा देता है। इससे समाज में सहयोग और सामूहिक प्रगति होती है।


9. सामाजिक नियमों का पालन और स्वतंत्रता।

  • महत्व:
    समाज के नियमों का पालन करते हुए व्यक्तिगत स्वतंत्रता बनाए रखना एक संतुलित समाज की नींव है।

  • व्याख्या:
    सामाजिक नियमों का पालन समाज को संगठित रखता है, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता समाज में विविधता और रचनात्मकता को बढ़ावा देती है।


इन नियमों की उपयोगिता:

  1. समाज में नैतिकता और सत्यनिष्ठा का प्रचार।
    ये नियम व्यक्तियों को सत्य और नैतिकता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।

  2. शिक्षा और ज्ञान का विस्तार।
    विद्या की वृद्धि और अज्ञानता का नाश समाज को प्रगति के पथ पर ले जाता है।

  3. सामाजिक समरसता और सहयोग।
    हर व्यक्ति के साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार और दूसरों की उन्नति में योगदान से समाज में एकता बढ़ती है।

  4. नैतिकता पर आधारित निर्णय।
    सत्य और असत्य का विचार करके कार्य करने से समाज में नैतिकता का उच्च स्तर स्थापित होता है।

  5. व्यक्तिगत और सामूहिक प्रगति।
    ये नियम व्यक्ति और समाज दोनों की भलाई सुनिश्चित करते हैं, जिससे एक संतुलित और प्रगतिशील समाज का निर्माण होता है।

निष्कर्ष:

ये नियम मानव जीवन और समाज के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हैं। इन्हें अपनाने से न केवल व्यक्तिगत विकास होता है, बल्कि एक ऐसे समाज का निर्माण होता है, जो न्याय, सत्य, और सहयोग के मूल्यों पर आधारित होता है।


Your Question

मुख्य पेज

प्रतिदिन ८:१५ pm समयदान सभा

समय दान फॉर्म

સત્ર રજીસ્ટ્રેશન ફોર્મ

Download Vedic E-Book

Download Vidharm Book

आर्य पुस्तकालय

Google Sites
Report abuse
Page details
Page updated
Google Sites
Report abuse