सभी आर्य संगठनों का समन्वय और मार्गदर्शन।
राष्ट्रीय स्तर पर नीतियों और कार्यक्रमों का निर्धारण।
आर्य संस्कृति और परंपराओं का प्रचार-प्रसार।
वार्षिक सम्मेलन और प्रमुख कार्यक्रमों का आयोजन।
राज्य स्तर पर सभी जिलों के साथ समन्वय।
स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार कार्यक्रमों का संचालन।
शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक सुधार योजनाओं का कार्यान्वयन।
जिले में आर्य महासंघ की शाखाओं का प्रबंधन।
तालुका और ग्राम स्तर पर संगठनों को समर्थन।
सामाजिक जागरूकता अभियान का संचालन।
स्थानीय समुदाय के साथ संपर्क।
विशेष जरूरतों के अनुसार कार्यक्रमों का आयोजन।
ग्रामीण स्तर पर संघ के संदेश का प्रचार।
ग्राम सभा का गठन।
शिक्षा और सामाजिक सुधार में भागीदारी।
स्थानीय मुद्दों पर चर्चा और समाधान।
महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय योजनाओं का निर्माण।
शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के लिए विशेष परियोजनाएं।
महिला नेतृत्व कार्यक्रम और प्रशिक्षण शिविर।
महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान।
सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन।
महिला सशक्तिकरण योजनाओं का कार्यान्वयन।
महिलाओं के लिए स्व-रोजगार कार्यक्रम।
जिले के विभिन्न हिस्सों में जागरूकता अभियान।
महिलाओं के लिए हेल्पलाइन और समर्थन सेवाएं।
स्थानीय स्तर पर महिला समूहों का गठन।
शिक्षा और कौशल विकास पर ध्यान।
महिलाओं के अधिकारों और समस्याओं पर चर्चा।
आर्य संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण के लिए रणनीतियां।
प्राचीन ग्रंथों और साहित्य का पुनरुद्धार।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन।
सांस्कृतिक और शैक्षिक गतिविधियों का आयोजन।
ग्रंथालयों और शोध केंद्रों की स्थापना।
पारंपरिक त्योहारों और सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रचार।
आर्य मूल्यों की शिक्षा।
क्षत्रिय समुदाय के नेतृत्व विकास कार्यक्रम।
देशभक्ति और सेवा भावना को बढ़ावा देना।
युवाओं को सामरिक और रक्षा शिक्षा देना।
सामाजिक और राष्ट्रीय सेवा के लिए प्रेरित करना।
स्थानीय स्तर पर नेतृत्व विकास।
सुरक्षा और सेवा से जुड़े कार्यक्रम।
शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ावा देना।
ज्ञान के क्षेत्र में आर्य परंपराओं का प्रसार।
शिक्षण संस्थानों और शैक्षणिक कार्यक्रमों का प्रबंधन।
छात्रों को नेतृत्व और अनुसंधान में प्रेरित करना।
स्थानीय स्तर पर शिक्षा का प्रसार।
स्कूलों और शिक्षण केंद्रों का संचालन।
दलित समुदाय के लिए सशक्तिकरण योजनाओं का निर्माण।
समानता और समरसता को बढ़ावा देना।
वंचित वर्गों के लिए विशेष कार्यक्रम।
शिक्षा और रोजगार के लिए सहायता।
स्थानीय स्तर पर समानता और समरसता का प्रचार।
गरीब और वंचित परिवारों के लिए सहायता।
गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का पुनरुद्धार।
राष्ट्रीय स्तर पर गुरुकुल नेटवर्क का निर्माण।
गुरुकुल महाविद्यालयों की स्थापना।
शैक्षिक कार्यक्रमों का प्रबंधन।
स्थानीय गुरुकुल स्कूलों का संचालन।
परंपरागत और आधुनिक शिक्षा का समन्वय।
महिला शिक्षा के लिए विशेष प्रबंधन।
महिला केंद्रित शिक्षा योजनाओं का विकास।
महिला गुरुकुल संस्थानों की स्थापना।
कौशल विकास और शिक्षा का प्रचार।
महिला शिक्षा के लिए स्थानीय संस्थानों का संचालन।
महिलाओं को नेतृत्व के लिए प्रेरित करना।
वानप्रस्थ जीवन शैली को प्रोत्साहित करना।
समाज के वरिष्ठ नागरिकों के लिए योजनाएं।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए योग और ध्यान केंद्र।
सामुदायिक सेवा कार्यक्रम।
वानप्रस्थ आश्रमों की स्थापना।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए सामाजिक और आध्यात्मिक कार्यक्रम।
प्रत्येक संगठन अपनी भूमिका के अनुसार समाज के विशिष्ट वर्गों और जरूरतों को संबोधित करता है। इन भूमिकाओं और जिम्मेदारियों का उद्देश्य सामूहिक रूप से समाज को नैतिक, सांस्कृतिक, और शैक्षिक रूप से सशक्त बनाना है।
यह प्रस्तावित संरचना एक गैर-लाभकारी और सामाजिक संगठन के रूप में राष्ट्रीय आर्य निर्मात्री सभा के लिए है। इसका उद्देश्य समाज में नैतिकता, समानता, शिक्षा, और सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है।
संगठन का उद्देश्य
राष्ट्रीय आर्य सरक्षिणी सभा का मुख्य उद्देश्य आर्य संस्कृति, परंपराओं, और धर्म की रक्षा और संवर्धन करना है। इस सभा के कार्य मुख्य रूप से समाज में आर्य जाति के सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों को संरक्षित करने और उन्हें नए संदर्भ में प्रासंगिक बनाने पर आधारित होते हैं। इसके उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
प्राचीन आर्य संस्कृति, परंपराओं, और धर्म का संरक्षण और पुनरुद्धार करना।
भारतीय सभ्यता की जड़ों और इतिहास को सम्मानित करना।
आर्य समाज की मूल शिक्षाओं और संस्कारों का प्रचार-प्रसार।
आर्य धर्म की शुद्धता और मूल तत्वों को समाज में समझाना और फैलाना।
धार्मिक ग्रंथों और साहित्य का अध्ययन, प्रचार, और संरक्षण।
धार्मिक सेमिनारों, कार्यशालाओं और पाठ्यक्रमों के माध्यम से शिक्षा प्रदान करना।
विभिन्न जातियों और समुदायों के बीच सामूहिक भाईचारे और एकता को बढ़ावा देना।
आर्य समाज के सिद्धांतों को आधार बनाकर समाज में समानता और समरसता की भावना पैदा करना।
आपसी भेदभाव और धार्मिक विभाजन को समाप्त करने के लिए प्रयास करना।
आर्य समाज के सिद्धांतों के आधार पर समाज में सामाजिक सुधार के प्रयास करना।
शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना।
महिला शिक्षा, बालकों के अधिकार, और अन्य समाजिक पहलुओं पर काम करना।
पारंपरिक आर्य उत्सवों, पर्वों और अनुष्ठानों का आयोजन।
प्राचीन आर्य परंपराओं और ज्ञान को युवाओं तक पहुँचाना और उन्हें प्रेरित करना।
आर्य समाज के ऐतिहासिक स्थलों, मंदिरों और संरचनाओं का संरक्षण करना।
सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखने के लिए अनुसंधान और दस्तावेजीकरण करना।
आर्य जीवनशैली को बढ़ावा देना, जिसमें स्वस्थ आहार, स्वच्छता, और नैतिक जीवन की शिक्षा दी जाती है।
पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना और जल, वायु, भूमि की रक्षा के लिए कार्य करना।
राष्ट्रीय आर्य सरक्षिणी सभा का उद्देश्य आर्य समाज की समृद्ध संस्कृति, परंपराओं और धार्मिक विश्वासों का संरक्षण करना है, साथ ही समाज में सुधार, समानता, और जागरूकता का प्रसार करना है। यह सभा एक संगठन के रूप में अपने मिशन को पूरा करने के लिए विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक, और शैक्षिक कार्यक्रमों का आयोजन करती है।
केंद्रिय कार्यकारिणी समिति
राष्ट्रीय अध्यक्ष: संगठन के सभी निर्णयों का नेतृत्व और पर्यवेक्षण।
उपाध्यक्ष (2 पद): अध्यक्ष का सहयोग और विभिन्न विभागों का मार्गदर्शन।
राष्ट्रीय महासचिव: संगठन की सभी प्रशासनिक गतिविधियों का प्रबंधन।
कोषाध्यक्ष: वित्तीय संसाधनों का प्रबंधन और लेखा-जोखा।
प्रचार सचिव: जागरूकता अभियान और प्रचार सामग्री का निर्माण।
संयोजक: विभिन्न राज्यों और जिलों के समन्वय का कार्य।
सलाहकार मंडल (5 सदस्य): संगठन को सलाह और मार्गदर्शन प्रदान करना।
राज्य कार्यकारिणी समिति
राज्य अध्यक्ष: राज्य स्तर पर संगठन का नेतृत्व।
उपाध्यक्ष (2 पद): जिलों के समन्वय और कार्यक्रमों का प्रबंधन।
महासचिव: राज्य स्तर पर कार्य योजना को लागू करना।
कोषाध्यक्ष: राज्य के वित्तीय मामलों का प्रबंधन।
प्रचार सचिव: राज्य स्तर पर प्रचार और जागरूकता कार्यक्रम।
संयोजक: जिलों और तालुका स्तर के समन्वय का कार्य।
जिला कार्यकारिणी समिति
जिला अध्यक्ष: जिले में संगठन का नेतृत्व।
उपाध्यक्ष (2 पद): तालुका और ब्लॉक स्तर पर कार्यक्रमों का समन्वय।
महासचिव: जिले के सभी कार्यक्रमों की योजना बनाना।
कोषाध्यक्ष: जिला स्तर के वित्तीय मामलों का प्रबंधन।
प्रचार सचिव: जिले में प्रचार और जागरूकता कार्यक्रम।
संयोजक: ब्लॉक और गांव स्तर के समन्वय का कार्य।
तालुका कार्यकारिणी समिति
तालुका अध्यक्ष: तालुका स्तर पर संगठन का नेतृत्व।
महासचिव: तालुका स्तर पर कार्य योजना और क्रियान्वयन।
कोषाध्यक्ष: वित्तीय मामलों का प्रबंधन।
संयोजक: गांव स्तर के समन्वय का कार्य।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगठन का प्रतिनिधित्व।
नीतियां और रणनीतियां बनाना।
राज्यों को मार्गदर्शन और वित्तीय सहायता प्रदान करना।
राज्य की समस्याओं और जरूरतों का आकलन करना।
जिला समितियों को समर्थन और प्रशिक्षण प्रदान करना।
राज्य के सामाजिक और शैक्षिक कार्यक्रमों का प्रबंधन।
तालुका और गांव स्तर पर योजनाओं का कार्यान्वयन।
स्थानीय सामाजिक मुद्दों को हल करना।
शिक्षा और स्वास्थ्य जागरूकता अभियान चलाना।
गांव स्तर पर संगठन का प्रसार।
स्थानीय जरूरतों के अनुसार कार्यक्रमों को लागू करना।
जनसंपर्क और प्रचार गतिविधियों का प्रबंधन।
सदस्यता शुल्क।
दान और अनुदान।
सामुदायिक फंडरेजिंग।
CSR (Corporate Social Responsibility) के तहत सहयोग।
आर्य महासंघ
राष्ट्रीय आर्य सवर्धिनी सभा
राष्ट्रीय आर्य सरक्षिणी सभा
राष्ट्रीय आर्य क्षत्रिय सभा
राष्ट्रीय आर्य क्षात्र सभा
आर्य दलितोद्धारणी सभा
आर्य गुरुकुल महाविद्यालय
आर्या गरूकुल महाविद्यालय
वानप्रस्थ आयोग
हर तीन महीने में प्रगति रिपोर्ट।
वार्षिक समीक्षा बैठक।
पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए बाहरी ऑडिट।
यह संरचना संगठन को एक व्यवस्थित, समन्वित, और प्रभावी तरीके से अपने उद्देश्यों को पूरा करने में मदद करेगी।