सत्यार्थ प्रकाश स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा रचित एक ग्रंथ है, जिसमें आर्य समाज के मुख्य सिद्धांतों और वैदिक शिक्षाओं का विवरण है। इसके प्रमुख उद्देश्यों में धार्मिक अंधविश्वास का उन्मूलन, वैदिक जीवन का प्रचार, और सत्य के प्रति आस्था जगाना शामिल है। राष्ट्रीय आर्य छात्र सभा इन्हीं मूल विचारों को युवाओं के बीच फैलाने का कार्य करती है।
वैदिक शिक्षा का प्रचार: छात्रों को वेदों के ज्ञान और उपदेशों से परिचित कराना।
चरित्र निर्माण: सत्य, अहिंसा, और नैतिकता पर आधारित चरित्र का निर्माण।
सामाजिक सुधार: जातिवाद, छुआछूत, और अन्य सामाजिक बुराइयों को मिटाना।
राष्ट्र निर्माण: राष्ट्र के प्रति प्रेम और सेवा भाव जाग्रत करना।
धर्म सुधार: धार्मिक कुरीतियों और अंधविश्वासों को दूर कर तर्कसंगत विचारधारा का प्रसार।
शिक्षा शिविर: वैदिक ग्रंथों का अध्ययन, व्याख्यान, और चर्चा आयोजित करना।
धर्म और विज्ञान का समन्वय: सत्यार्थ प्रकाश के आधार पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रसार।
समाज सेवा: शिक्षा, स्वच्छता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में समाज की सेवा करना।
धार्मिक आयोजन: यज्ञ, प्रवचन, और संस्कार आधारित कार्यक्रम।
सामाजिक न्याय: महिला सशक्तिकरण, समानता, और दलित उत्थान के लिए प्रयास।
सत्य का प्रचार: केवल वेदों में निहित ज्ञान को सत्य माना जाए और समाज को उसकी ओर प्रेरित किया जाए।
मूर्तिपूजा का खंडन: सत्यार्थ प्रकाश में मूर्तिपूजा को तर्कहीन बताया गया है, और आर्य समाज इसी विचारधारा का प्रचार करता है।
समाज में समानता: सभी मनुष्यों को जाति, धर्म, और लिंग के आधार पर समान अधिकार मिलने चाहिए।
विद्यार्थी जीवन का महत्व: सत्यार्थ प्रकाश में छात्र जीवन को चरित्र निर्माण और आत्म-संयम का समय माना गया है।
उद्देश्य
सत्य, धर्म, और समाज सुधार का प्रचार
छात्रों में वैदिक शिक्षा और नैतिकता का प्रसार
केंद्र बिंदु
वैदिक ज्ञान और तर्कशील विचारधारा
युवा पीढ़ी का नैतिक और वैदिक प्रशिक्षण
मुख्य कार्य
धार्मिक कुरीतियों का खंडन
छात्र जीवन में वैदिक सिद्धांतों का समावेश
सामाजिक योगदान
जाति प्रथा और अंधविश्वास का उन्मूलन
राष्ट्र निर्माण और समाज सेवा
राष्ट्रीय आर्य छात्र सभा सत्यार्थ प्रकाश के सिद्धांतों को अपनाकर निम्न मानवीय गुणों को प्रोत्साहित करती है:
ईमानदारी (Honesty): सत्य को अपनाना और झूठ से दूर रहना।
दया (Compassion): कमजोरों और जरूरतमंदों की सहायता करना।
समानता (Equality): हर व्यक्ति को समान अधिकार और सम्मान देना।
अनुशासन (Self-control): आत्म-संयम और नैतिक आचरण।
सेवा भाव (Service): राष्ट्र और समाज के प्रति निस्वार्थ सेवा।
राष्ट्रीय आर्य छात्र सभा सत्यार्थ प्रकाश के सिद्धांतों को छात्रों के जीवन में उतारने का एक प्रभावी मंच है। यह समाज के नैतिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्थान के साथ-साथ युवा पीढ़ी को राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रेरित करता है।