आर्य गुरुकुल महाविद्यालय: सत्यार्थ प्रकाश और स्वामी दयानंद सरस्वती के दृष्टिकोण से
स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा रचित सत्यार्थ प्रकाश में वैदिक शिक्षा पद्धति और गुरुकुल प्रणाली पर विशेष जोर दिया गया है। आर्य समाज के उद्देश्यों में प्रमुख था—शिक्षा का प्रसार और आधुनिक समाज में वैदिक परंपराओं की पुनर्स्थापना। इसी दृष्टिकोण से आर्य गुरुकुल महाविद्यालय जैसे शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की गई, ताकि वैदिक और आधुनिक शिक्षा का समन्वय हो सके।
सत्यार्थ प्रकाश के अनुसार शिक्षा का महत्व
स्वामी दयानंद ने सत्यार्थ प्रकाश में शिक्षा को मानव जीवन का आधार बताया है। उनके अनुसार, शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान प्राप्त करना नहीं है, बल्कि व्यक्ति के चरित्र निर्माण, आत्मनिर्भरता, और समाज सेवा के लिए प्रेरित करना है।
सत्यार्थ प्रकाश में गुरुकुल शिक्षा की विशेषताएँ:
वैदिक शिक्षा पर जोर:
वेदों को अध्ययन का मुख्य आधार माना गया। इसमें केवल धार्मिक नहीं, बल्कि भौतिक और वैज्ञानिक विषयों की शिक्षा भी शामिल थी।समग्र विकास:
शिक्षा का उद्देश्य शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास करना था।समानता:
जाति, धर्म, या सामाजिक स्थिति के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव अस्वीकार्य था। सभी छात्रों को समान अधिकार दिए जाते थे।स्वावलंबन:
स्वामी दयानंद का मानना था कि शिक्षा व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाती है। गुरुकुल में छात्रों को खेती, हस्तकला, और अन्य कौशल सिखाए जाते थे।गुरु-शिष्य संबंध:
शिक्षा प्रणाली में गुरु और शिष्य का संबंध आदर्श माना गया। शिक्षक को आदर देना और उसका पालन करना छात्रों का कर्तव्य था।
आर्य गुरुकुल महाविद्यालय की स्थापना और उद्देश्य
आर्य गुरुकुल महाविद्यालय आर्य समाज के विचारों पर आधारित एक शैक्षणिक संस्था है। इसकी स्थापना वैदिक शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित करने और आधुनिक शिक्षा के साथ जोड़ने के उद्देश्य से की गई थी।
मुख्य उद्देश्य:
वैदिक और आधुनिक शिक्षा का समन्वय:
छात्रों को वेदों, उपनिषदों, और संस्कृत भाषा के साथ-साथ गणित, विज्ञान, और आधुनिक तकनीक की शिक्षा देना।नैतिक और सामाजिक सुधार:
छात्रों में नैतिकता, समाज सेवा, और स्वावलंबन की भावना विकसित करना।समानता का प्रचार:
जाति, लिंग, और धर्म के भेदभाव को समाप्त कर शिक्षा का प्रसार।व्यावसायिक कौशल:
शिक्षा के साथ-साथ छात्रों को व्यावसायिक और तकनीकी कौशल सिखाना, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।धार्मिक जागरूकता:
छात्रों को वैदिक धर्म और आर्य समाज के सिद्धांतों से परिचित कराना।