वेदों के अनुसार धर्म की परिभाषा

वेदों में धर्म का उल्लेख व्यापक और गहन रूप में किया गया है। धर्म को वेदों में मानव जीवन के समग्र आदर्श, आचरण, और जीवन के नियमन के रूप में वर्णित किया गया है। यह केवल व्यक्तिगत कर्तव्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे ब्रह्मांडीय व्यवस्था (ऋत) का पालन करने वाला सिद्धांत माना गया है।

वेदों में धर्म के मुख्य पहलू:


धर्म के उद्देश्य (वेदों के अनुसार):

संक्षेप में:

वेदों में धर्म को नैतिकता, कर्तव्य, यज्ञ, सत्य, और ऋत के पालन के रूप में परिभाषित किया गया है। यह एक व्यापक और सार्वभौमिक सिद्धांत है, जो ब्रह्मांडीय और सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में सहायक है। धर्म का पालन व्यक्ति को आत्मसंतुष्टि और ब्रह्मांडीय संतुलन की ओर ले जाता है।